This is the fifth in a series of report cards by the Financial Accountability Network India, that attempts (even if not exhaustively) to glance through and highlight a few of the claims and reality of the government’s performance across various sectors from a financial and economic lens.
While the govt creates fuss about welfare spending calling them “freebies” and “revdi”, lakhs of crores are written off from corporate balance sheets and astronomical tax breaks are given to big business. Here is a report card on Freebies for Corporates in the last ten years.
While the divisive and jingoist hyperboles in the media facilitate a collective amnesia, the report card is an attempt to brings back the question of accountability.
Read and download the report card here: Revdi for Corporates | Report Card 2014-24
दस साल का हिसाब किताब | सरकारी सार्वजनिक संपदो की मुद्रीकरण पर रिपोर्ट कार्ड
अजीब सा वक्त है। आज गरीब जनता के हकों को सुरक्षित करने केलिए की गई खर्चा को “रेवड़ी” कहा जा रहा है। और वहीं बड़े कॉरपोरेट घरानों को दी गई टैक्स छूट और लोन राइट ऑफ को “इंसेंटिव” कहा जा रहा है।
कॉर्पोरेट्स केलिए रेवड़ी पर यह रिपोर्ट कार्ड (हालांकि निर्णायक नहीं) फाइनेंशियल अकाउंटेबिलिटी नेटवर्क इंडिया की एक श्रृंखला का हिस्सा है, जो वित्तीय और आर्थिक दृष्टिकोण से विभिन्न क्षेत्रों में सरकार के प्रदर्शन के कुछ दावों और वास्तविकता पर नज़र डालने और उजागर करने का एक प्रयास है।
यहाँ रिपोर्ट हिन्दी में पढ़ें: सरकारी सार्वजनिक संपदो की मुद्रीकरण पर रिपोर्ट कार्ड २०१४-२४