The historic farmers’ agitation against the farm Bills pushed by the Modi government was a desperate fight back against what was being touted as Indian farming’s “1991 moment”. The Bills would have made farmers directly negotiate with private corporations instead of the mediation of a state-regulated marketplace. It took about 750 deaths and a year-long militant agitation for the government to finally retreat.
The Union Ministry of Agriculture & Farmers’ Welfare had 20 schemes under it, but now only three are running. The Animal Husbandry Ministry has scrapped important schemes like Dairying through Cooperatives and National Dairy Plan-II. Now, only three out of 20 schemes — Krishonnati Yojana, the Integrated Scheme on Agricultural Cooperatives and the Rashtriya Krishi Vikas Yojana are being run by the Agriculture Ministry.
Read and download the report card here: Farmers’ Report Card 2014-24
दस साल का हिसाब किताब | कृषि एवं किसान पर रिपोर्ट कार्ड
सरकार के काफी बड़े-बड़े दावे रहे हैं कि वह अन्नदाताओं के हितों की रक्षा करेगी, लेकिन हकीकत यह है कि हज़ारों किसान फिर से दिल्ली की ओर मार्च कर रहे हैं और उन पर आंसू गैस, रबर बुलेट और लाठी बरसाई जा रही है। जब किसान ड्रोन का मुकाबला पतंग से कर रहा है, जरूरी है की हम तय करे कि हम किस तरफ खड़े है।
जब मीडिया द्वारा विभाजनकारी और अंधराष्ट्रवादी सोच का प्रसार किया जा रहा है, यह जवाबदेही और इंसाफ की एक छोटी सी पहल है।
यह रिपोर्ट कार्ड (हालांकि निर्णायक नहीं) फाइनेंशियल अकाउंटेबिलिटी नेटवर्क इंडिया की एक श्रृंखला का हिस्सा है, जो वित्तीय और आर्थिक दृष्टिकोण से विभिन्न क्षेत्रों में सरकार के प्रदर्शन के कुछ दावों और वास्तविकता पर नज़र डालने और उजागर करने का एक प्रयास है।
यहाँ रिपोर्ट हिन्दी में पढ़ें: कृषि एवं किसान पर रिपोर्ट कार्ड २०१४-२४