Balance Sheet of a Decade!
The essence of democracy requires that we hold governments to account vis-a-vis their claims and promises. But one of the biggest casualties of the recent years has been the idea of accountability. The divisive and jingoist hyperboles in the media facilitate a collective amnesia. This report card (though not conclusive) is part of a series, by the Financial Accountability Network India, that attempts to glance through and highlight a few of the claims and reality of the government’s performance across various sectors from a financial and economic lens.
Read and Download the Report Card here: NPAs + Write Offs + Wilfull Defaulters: Report Card 2014-24
दस साल का हिसाब किताब | एनपीए और राइट ऑफ पर रिपोर्ट कार्ड
लोकतंत्र का सार यह है कि हम सरकारों को उनके दावों और वादों के हिसाब से जवाबदेह बनाएं। लेकिन हाल के वर्षों में सबसे बड़ी क्षति जवाबदेही के विचार को पहुंची है। मीडिया द्वारा विभाजनकारी और अंधराष्ट्रवादी सामग्री का प्रसार, सामूहिक भूलने की बीमारी को बढ़ावा देता है।
यह रिपोर्ट कार्ड (हालांकि निर्णायक नहीं) फाइनेंशियल अकाउंटेबिलिटी नेटवर्क इंडिया की एक श्रृंखला का हिस्सा है, जो वित्तीय और आर्थिक दृष्टिकोण से विभिन्न क्षेत्रों में सरकार के प्रदर्शन के कुछ दावों और वास्तविकता पर नज़र डालने और उजागर करने का एक प्रयास है।
यहाँ रिपोर्ट हिन्दी में पढ़ें: एनपीए और राइट ऑफ पर रिपोर्ट कार्ड २०१४-२४