बैंक शुल्कों के खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज करें।
जन विरोधी बैंक शुल्कों को हटाने की मांग करते हुए अपने बैंक, प्रधान मंत्री, वित्त मंत्री एवं आरबीआई गवर्नर को ईमेल करें।
Since 1993
नो बैंक चार्जेज
नो बैंक चार्जेज अभियान सरकार और आरबीआई से बचत खाता धारकों से बैंकिंग सेवाओं पर लगाए जा रहे सभी तरह के शुल्कों एवं जुर्मानों को हटाने की मांग करता है एवं मनमाने बैंक शुल्कों की वजह से हो रहे जनता के वित्तीय शोषण का विरोध करता है। बैंक बिना किसी शुल्क के बचत खाताधारकों को विभिन्न बैंकिंग सेवाएं प्रदान कर रहे थे और उनकी भरपाई ऋणों से होने वाले लाभ से हो जाती थी। लेकिन हाल के दिनों में, बड़े पैमाने पर ऋण कॉर्पोरेट क्षेत्र द्वारा चुकाया नहीं जा रहा है और बुरे ऋण (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स - एनपीए) बढ़ रहे हैं। बुरे ऋणों से हुए नुकसान की भरपाई के लिए, बैंकों ने उन सभी सेवाओं सहित बचत खाता धारकों से शुल्क वसूलना शुरू कर दिया है जिनका पहले कोई शुल्क नहीं था।


बैंक शुल्क क्या हैं?
बैंक कौनसी सेवा के लिए शुल्क लेते हैं?
बैंक में नकद जमा और निकासी, डेबिट कार्ड पर सालाना शुल्क, चेक बुक, एटीएम से शेष राशि की पूछताछ और मिनी स्टेटमेंट लेने, एसएमएस सेवा, एटीएम पिन को फिर से चालू कराने से लेकर खाता बंद करने जैसी हर बैंकिंग सेवा पर शुल्क लगाया जा रहा है। यहाँ पूरी सूची है।


बैंक शुल्कों से कौन प्रभावित होता है?
हर कोई जिनके पास बैंक खाता है। लेकिन सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब, मध्यम वर्ग और मजदूर वर्ग के लोग हैं। बैंक अमीर लोगों को सेवाएं मुफ्त में प्रदान करते हैं और गरीबों को उनके द्वारा उपयोग की जाने वाली प्रत्येक सेवा के लिए शुल्क लेते हैं। यह भेदभाव पूर्ण रवैया बैंक खातों में शेष राशि के आधार पर किया जा रहा है। यदि खाते में शेष राशि एक निश्चित राशि (25,000 रुपये या उससे अधिक हो, यह हर बैंकों में अलग हो सकता है) की तुलना में अधिक है, तो खाताधारकों को सेवाएँ मुफ्त दी जाती है और कोई शुल्क नहीं लिया जाता है।
अभियान से जुड़ें:-
इन जगहों पर लोगों ने बैंक शुल्कों के मुद्दे पर कार्यक्रम आयोजित किए हैं।